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5.15 भरतके वंश का वर्णन

 सुमति

देवताजित 

देवधुम्न 

परमेष्ठि 

प्रतीह-" इसने अन्य पुरुषों को आत्म विद्या का उपदेश कर स्वयं शुद्ध चित्त होकर परम पुरूष श्री नारायण का साक्षात अनुभव किया था।"

गय



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