राजा रहुगण ने कहा-अहो! समस्त योनियों में यह मनुष्य जन्म ही श्रेष्ठ है अन्य अन्य लोगों में प्राप्त होने वाले देव आदि उत्कृष्ट जन्मों से भी क्या लाभ है जहां भगवान ऋषिकेश के पवित्र यस उसे शुद्ध अंतःकरण वाले आप जैसे महात्माओं का अधिकाधिक समागम नहीं मिलता। 21
आपके चरण कमलों की रज का सेवन करने से जिनके सारे पाप नष्ट हो गए हैं उन महानुभाव को भगवान की विशुद्ध भक्ति प्राप्त होना कोई विचित्र बात नहीं है मेरा तो आपके दो घड़ी के सत्संग से ही सारा कुतर्क मुल्क अज्ञान नष्ट हो गया है।22
ब्रह्म ज्ञानियों में जो वयोवृद्ध हो उन्हें नमस्कार है, जो शिशु होउन्हे नमस्कार हैं, जो युवा हो उन्हें नमस्कार है और जो क्रीडा रत बालक हूं उन्हें भी नमस्कार है। जो ब्रह्म ज्ञानी ब्राह्मण अवधूत वेश से पृथ्वी पर भी चलते हैं उनसे हम जैसे एश्वर्योन्मत राजाओं का कल्याण हो।23
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